आज लाल किताब के अनुसार चन्द्र के बारे में बात करते हैं। लाल किताब के अनुसार चंद्र को मन का कारक कहा गया है। इस जगत की धरती माता भी चंद्र को माना गया है लाल किताब में। इष्ट देव में दयालु श्री शिव जी भोलेनाथ से परिभषित किया गया है। उम्र की किश्ती का समंदर की उपमा भी चंद्र को दी गई है।
बढ़े दिल मोहब्बत जो पांव पकड़ती
उम्र नहर तेरी – चले ज़र उछलती उपरोक्त पंकित्तयों में लाल किताब के रचियता बड़े सुंदर ढंग से अपनी बात को रखा है।बढ़े दिल मोहब्बत जो पांव पकड़तीइस पंक्ति को समझने से पहले आप को लाल किताब की कुछ अहम बातें पता होना चाहिएं कि कैसे एक शब्द का मतलब दूसरे शब्द से जुड़ता चला जाता है। लाल किताब में चंद्र को माता भी माना गया है।तो इस उपरोक्त पंक्ति में भी लाल किताब के रचियता ने अपनी उम्दा सोच को सब के सामने रखा है। इस गृहस्त जगत में माता का दर्ज़ा बहुत ऊंचा माना गया है और “बढ़े दिल मोहब्बत जो पांव पकड़ती” इस पंक्ति में भी इसी बात को उजागर किया गया है। इस पंक्ति में ये बताने की कोशिश की गई है कि जो जातक या व्यक्ति अपनी माता या माता के समान औरत के पांव को छू कर आर्शीवाद लेता रहेगा, तो ऐसे जातक या व्यक्ति को चंद्र के उम्दा फल प्राप्त होते रहेंगे।यहां पर पांव छूना या पांवो का हाथ लगाकर आर्शीवाद लेना की परिभाषा भी है, कि पांव कैसे छूहे जाएं। इससे पिछली पोस्ट में यह बताया गया था कि जो जातक या व्यक्ति अपनी माता या माता के समान औरत के पांव को छू कर आर्शीवाद लेता रहेगा, तो ऐसे जातक या व्यक्ति को चंद्र के उम्दा फल प्राप्त होते रहेंगे।यहां पर पांव छूना या पांवो का हाथ लगाकर आर्शीवाद लेना की भी अपनी परिभाषा है, कि पांव कैसे छूहे जाएं।
पांव छूने का असर आपको कब मिलेगा ?
अब इस की पहचान क्या है।
चन्द्र के मंदे असर दे रहा है तो इस उपाय समझने का प्रयास करते हैं।
आज के माहौल में ये भी देखना होगा। आजकल की नई युवा पीढ़ी में ये फैशन बन गया है कि किसी भी बुजुर्ग के पांव को छूने से अच्छा है कि थोड़ा सा उस बुजुर्ग के सामने झुक जाना को आर्शीवाद के तौर पर लिया जाता है। हमारी भारतीय संस्कृति ऐसी नहीं है, पुराने ज़माने में किसी भी बुजुर्ग से उसके पैरों को हाथ से छूकर आर्शीवाद लिया जाता था, लेकिन आज इन संस्कारो के मायने बदल गए हैं।
तो इस “बढ़े दिल मोहब्बत जो पांव पकड़ती” पंक्ति में भी लाल किताब के रचियता ने हमारी भारतीय संस्कृति का पालन करते हुए माता के पैरों का हाथ से छू कर आर्शीवाद लेने से चंद्र के असर को नेक करने की हिदायत की है। आप भी ऐसा करके देखें तो निश्चत ही आपको चंद्र का उम्दा फल प्राप्त होगा।
इस पंक्ति में लाल किताब के रचियता ने चंद्र के बुरे असर को शुभ असर में कैसे बदला जाए, का सबसे आसान उपाय वो भी फ्री में बड़ी आसानी से बता दिया है।
अब दूसरी पंक्ति की और ध्यान देते हैं दूसरी पंक्ति में लिखा है। ‘‘उम्र नहर तेरी – चले ज़र उछलती’’
इस लाइन को समझने से पहले लाल किताब की उन सब बातों को ध्यान में रखना होगा। चंद्र को उम्र से संबंधित भी कहा गया है, और नहर की परिभाषा आप सब जानते है कि नहर आम भाषा में उस लगातार चलते पानी को कहा गया है।
लेकिन ! इस नहर का ज़्योतिष से क्या लेना देना।
कैसे लाल किताब के रचियता ने नहर शब्द को चंद्र से जोड़ दिया ?
और चले का अर्थ है निरंतर चलते जाना बिना रूके।
लाल किताब के रचियता जीवन की गहराई और ज़्योतिष की बड़ी गहरी समझ रखते थे। तभी तो उन्होंने जीवन और ज़्योतिष को आसान शब्दों से जोड़कर अपनी काव्यशैली में ढाल दिया। “उम्र नहर तेरी – चले ज़र उछलती’’ इस लाईन में लाल किताब के रचियता ये बताने का प्रयास कर रहे हैं कि जो जातक या जो व्यक्ति अपनी माता या माता समान स्त्रीयों के पांव छूकर आर्शीवाद लेता रहेगा, उसकी जिंदगी (उम्र) में ज़र यानि माया यानि धन की कमी नहीं होगी। आप अपनी कुंडली के अनुसार कौन सा उपाय कर सकते हैं, ये जानने के लिए आप हमारे रेड बुक ज्योतिष गुरु जी से संपर्क कर सकते है।
बढ़े दिल मोहब्बत जो पांव पकड़ती
उम्र नहर तेरी – चले ज़र उछलती उपरोक्त पंकित्तयों में लाल किताब के रचियता बड़े सुंदर ढंग से अपनी बात को रखा है।बढ़े दिल मोहब्बत जो पांव पकड़तीइस पंक्ति को समझने से पहले आप को लाल किताब की कुछ अहम बातें पता होना चाहिएं कि कैसे एक शब्द का मतलब दूसरे शब्द से जुड़ता चला जाता है। लाल किताब में चंद्र को माता भी माना गया है।तो इस उपरोक्त पंक्ति में भी लाल किताब के रचियता ने अपनी उम्दा सोच को सब के सामने रखा है। इस गृहस्त जगत में माता का दर्ज़ा बहुत ऊंचा माना गया है और “बढ़े दिल मोहब्बत जो पांव पकड़ती” इस पंक्ति में भी इसी बात को उजागर किया गया है। इस पंक्ति में ये बताने की कोशिश की गई है कि जो जातक या व्यक्ति अपनी माता या माता के समान औरत के पांव को छू कर आर्शीवाद लेता रहेगा, तो ऐसे जातक या व्यक्ति को चंद्र के उम्दा फल प्राप्त होते रहेंगे।यहां पर पांव छूना या पांवो का हाथ लगाकर आर्शीवाद लेना की परिभाषा भी है, कि पांव कैसे छूहे जाएं। इससे पिछली पोस्ट में यह बताया गया था कि जो जातक या व्यक्ति अपनी माता या माता के समान औरत के पांव को छू कर आर्शीवाद लेता रहेगा, तो ऐसे जातक या व्यक्ति को चंद्र के उम्दा फल प्राप्त होते रहेंगे।यहां पर पांव छूना या पांवो का हाथ लगाकर आर्शीवाद लेना की भी अपनी परिभाषा है, कि पांव कैसे छूहे जाएं।
पांव छूने का असर आपको कब मिलेगा ?
अब इस की पहचान क्या है।
चन्द्र के मंदे असर दे रहा है तो इस उपाय समझने का प्रयास करते हैं।
आज के माहौल में ये भी देखना होगा। आजकल की नई युवा पीढ़ी में ये फैशन बन गया है कि किसी भी बुजुर्ग के पांव को छूने से अच्छा है कि थोड़ा सा उस बुजुर्ग के सामने झुक जाना को आर्शीवाद के तौर पर लिया जाता है। हमारी भारतीय संस्कृति ऐसी नहीं है, पुराने ज़माने में किसी भी बुजुर्ग से उसके पैरों को हाथ से छूकर आर्शीवाद लिया जाता था, लेकिन आज इन संस्कारो के मायने बदल गए हैं।
तो इस “बढ़े दिल मोहब्बत जो पांव पकड़ती” पंक्ति में भी लाल किताब के रचियता ने हमारी भारतीय संस्कृति का पालन करते हुए माता के पैरों का हाथ से छू कर आर्शीवाद लेने से चंद्र के असर को नेक करने की हिदायत की है। आप भी ऐसा करके देखें तो निश्चत ही आपको चंद्र का उम्दा फल प्राप्त होगा।
इस पंक्ति में लाल किताब के रचियता ने चंद्र के बुरे असर को शुभ असर में कैसे बदला जाए, का सबसे आसान उपाय वो भी फ्री में बड़ी आसानी से बता दिया है।
अब दूसरी पंक्ति की और ध्यान देते हैं दूसरी पंक्ति में लिखा है। ‘‘उम्र नहर तेरी – चले ज़र उछलती’’
इस लाइन को समझने से पहले लाल किताब की उन सब बातों को ध्यान में रखना होगा। चंद्र को उम्र से संबंधित भी कहा गया है, और नहर की परिभाषा आप सब जानते है कि नहर आम भाषा में उस लगातार चलते पानी को कहा गया है।
लेकिन ! इस नहर का ज़्योतिष से क्या लेना देना।
कैसे लाल किताब के रचियता ने नहर शब्द को चंद्र से जोड़ दिया ?
और चले का अर्थ है निरंतर चलते जाना बिना रूके।
लाल किताब के रचियता जीवन की गहराई और ज़्योतिष की बड़ी गहरी समझ रखते थे। तभी तो उन्होंने जीवन और ज़्योतिष को आसान शब्दों से जोड़कर अपनी काव्यशैली में ढाल दिया। “उम्र नहर तेरी – चले ज़र उछलती’’ इस लाईन में लाल किताब के रचियता ये बताने का प्रयास कर रहे हैं कि जो जातक या जो व्यक्ति अपनी माता या माता समान स्त्रीयों के पांव छूकर आर्शीवाद लेता रहेगा, उसकी जिंदगी (उम्र) में ज़र यानि माया यानि धन की कमी नहीं होगी। आप अपनी कुंडली के अनुसार कौन सा उपाय कर सकते हैं, ये जानने के लिए आप हमारे रेड बुक ज्योतिष गुरु जी से संपर्क कर सकते है।