आज फिर से लाल किताब के अनुसार सूरज ख़ाना नंबर 3 के बारे में में थोड़ा सा जानने का प्रयास करते हैं, लाल किताब में पेज नंबर 321 पर सूरज ख़ाना नंबर 3 के बारे में कहा गया है।

हुआ धोका कुदरत न क़िस्मत का डर था, बजा बिगुल मंदा-चलन जब तू बद था।

लाल किताब में लिखी गई हर पंक्ति अपना हर शब्द अपना विशेष महत्व रखते हैं। सूरज ख़ाना नंबर 3 में हो तो इन उपरोक्त पंक्तियों का अर्थ क्या है, आज इसी को जानने का प्रयास करेंगे। इन पंक्तियों में भी एक बहुत बड़ा संदेश दिया गया है।

अब इस पंक्तियों में जो समझाने का प्रयास किया गया उसे समझने कर प्रयास करते हैं।

इस उपरोक्त लाइन में ये समझाने का प्रयास किया गया है कि ख़ाना नंबर 3 में बैठा हुआ सूरज जब भी जातक को बुरा असर देगा उसमें न तो उसे कुदरत धोखा देगी, न ही उसकी किस्मत बुरी होगी, लेकिन अब जब सूरज ऐसे जातक को बुरा असर दे रहा हो तो ज़ाहिर सी बात है कि ऐसा शख्स ये जरुर सोचेगा कि उसका बुरा क्यूँ हो रहा है। 

तो इस दूसरी लाइन में यही संदेश दिया गया है कि जिस जातक की भी कुंडली में ख़ाना नंबर 3 में बैठा हुआ सूरज उसे बुरा असर दे रहा है तो वो ख़ुद को परखे यानि कि जब ऐसा जातक अपना चाल-चलन मंदा कर लेगा तो ख़ाना नंबर 3 में बैठा हुआ सूरज उसे मंदा असर देने लगेगा। या ऐसा जातक मंदे कामों में व्यस्त रहने लगेगा तो तो भी सूरज ऐसे जातक को मंदा असर देने लगेगा।

लाल किताब ऐसे ही रहस्यमय शब्दों से भरी पड़ी है। फिर मिलेंगे एक नये विषय के साथ।

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